HomeFoodकिस देश में मिलता 24 लाख का नाश्ता?

किस देश में मिलता 24 लाख का नाश्ता?

  • 2 लोगों के नाश्ते का बिल 24 लाख लेबनानी पाउंड
  • मुस्लिम देश लेबनान में युद्ध की वजह से महंगाई बेकाबू
  • लेबनान की मुद्रा दुनिया की सबसे कमजोर करेंसी में शामिल

कई लोगों को ये खबर गलत लग सकती है या कुछ लोगों को इस खबर से झटका लग सकता है। 2 लोगों के नाश्ते का बिल अगर 24 लाख, सुनकर आपको हैरानी हो सकती है, लेकिन ये सच है। लेबनान में युद्ध की वजह से महंगाई सातवें आसमान पर है। हालात ये है कि लोगों को छोटी-छोटी चीजों के दाम भी लाखों में चुकाने पड़ रहे हैं। पहले से ही खास्ताहाल लेबनान की मुद्रा लेबनीस पाउंड इजरायल से युद्ध के चलते गर्त में जा चुका है। सोशल मीडिया में लेबनान के एक रेस्त्रा का बिल वायरल हो रहा है, जिसमें दो लोगों के नाश्ते का जिक्र है। बिल के साथ लिखा गया गया है दुनिया का सबसे महंगा खाना। 2 लोगों के लिए 24.25 मिलियन लेबनीस करेंसी का भुगतान किया।

इजरायल से युद्ध का बड़ा असर

दरअसल इजरायल से युद्ध के हालात में लेबनान भयानक आर्थिक संकट में फंस गया है। लेबनान की करेंसी लेबनीस पाउंड दुनिया की सबसे कमजोर मुद्राओं में शामिल हो चुका है। भारत के 1 रूपए की कीमत 1070 लेबनीस पाउंड बैठती है। अरब जगत के इस मुल्क को कभी मिडिल ईस्ट का पेरिस कहा जाता था..लेकिन भ्रष्टाचार और राजनीतिक अव्यवस्था की वजह से ये बदहाल हो चुका है। रही सही कसर हिजबुल्लाह को मदद करके पूरी हो गई। हिजबुल्लाह का हेडक्वॉर्टर लेबनान की राजधानी बेरूत में है। इजरायल और हिजबुल्लाह के बीच विवाद किसी से छिपा नहीं है। अब तो दोनों खुलकर सामने आ चुके हैं। हिजबुल्लाह का साथ और जंग का खामियाजा लेबनान को भुगतना पड़ रहा है, दुनिया भर के देशों ने लेबनान पर आर्थिक प्रतिबंध थोप रखे हैं, जिससे उसकी अर्थव्यवस्था का दम घुट गया है।

गरीबी के दलदल में डूबता देश

एक आंकड़े के मुताबिक मुस्लिम मुल्क लेबनान में लोगों की हालत बहुत ज्यादा खराब है। 10 में से 9 लोग महंगाई और गरीबी की वजह से अपनी रोजमर्रा की जरूरतों को पूरा नहीं कर पा रहे हैं।
जुलाई 2024 में जारी आंकड़ों के मुताबिक लेबनान में महंगाई दर 51.6 फीसदी थी,जो दुनिया में चौथे नंबर पर आती है। नतीजा ये हुआ कि पिछले साल तक ही लेबनान की मुद्रा ने 98 फीसदी तक मूल्य खो दिया था। अब हालत ये है कि लोगों को नाश्ते के लिए लाखों लेबनीस पाउंड चुकाने पड़ रहे हैं। मुश्किल ये है कि आने वाले वक्त में भी हालात सुधरने की कोई उम्मीद नहीं है, क्योंकि हिजबुल्लाह की मदद करने की कीमत लेबनान को आगे और चुकानी पड़ सकती है

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